दर्द ने ही सुकून दे दिया
मैंने जीवन के मतलब को, मन ही मन मे सोचा था पीड़ा के धुंधले सागर में , मारा गहरा गोता था नियति ने विष के भोगी को ,अमृत का घूँट पिला दिया। दर्द ने ही ,सुकून दे दिया। सत्य रूप की चमक दिखी,दिनभर से तपते गालो में सुख की गगरी भरी मिली ,हाथो के उभरे छालों में वक्त ने जग के अनंत ज्ञान को ,कुछ लम्हो में बता दिया। दर्द ने ही ,सुकून दे दिया। संघर्ष ही जीवन तो ,क्यो खोजे सुख को सुविधा में मैं हूँ तो सब है फिर,क्यों उलझे फिजूल दुविधा में बुरे दौर ने जीवन के हर दौर को जीना सीखा दिया। दर्द ने ही ,सुकून दे दिया। ✍️ ghannu_sirvi