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उनकी गैर मौजूदगी में, तो हर लम्हे का हिस्सा बेमानी सा लगता है।
अगर गुजारे वक्त उनकी बाहों में तो किस्सा कहानी सा लगता है।।
कभी-कभी किसी को छोड़ देना ही अच्छा रहता है। क्युकी खुद से खुद को बर्बाद कर लेना कोई जीने का तरीका नही है।। हा जमाने का ताने,हासिल न करने का मलाल बोझ बनकर रहेगा। और टूटते सपने ,किए वादे ,क्या थे तुम्हारे इरादे जब कोई पूछेगा।। तुम तो हारे से, डरे से चुप-चाप खड़े रहोगे। कोई परिणाम पूछे तो उनसे क्या कहोगे।। दिखावटी बोलकर सब आगे बड़ जाएंगे। पगलो की गिनती में तुम गिने जाओगे ।। कभी कभी किसी को छोड़ देना ही अच्छा रहता है। क्युकी खुद से खुद को बर्बाद कर लेना कोई जीने का तरीका नही है।। ✍राजेश चोयल
काम की तलाश में। निकले है इस आश में गाँव, खलियानों को छोड़कर , सारे रिश्ते तोड़कर। अपनी यात्रा मोड़कर, कमाने की जुगत जोड़कर।। रोड़वेज की बसों में धक्का खाते हुए। लोकल ट्रेन में भीड़ संग गाते हुए।। काम की तलाश में। विश्वास को मुट्ठी में दबाए हुए, उत्साह को सीने से लगाए हुए। चल पड़े किसी का बोझ उठाए हुए, कर्तव्य की भुख जगाए हुए।। जिम्मेदारियों का झोला उठाए हुए उम्मीदों को जगाए हुए मै हक से काम मांगता हूं। मजबूरियों का पहाड़ खड़ा रहता सामने रात थक हार निकला फिर सुबह कमाने धक्के लगते हर रोज किसी बहाने। कच्ची नींद को आंखों में लिए अपने मै हक से काम मांगता हूं। ✍🏻 राजेश चोयल
अंतरमन में युद्ध चलते है ! स्वयं ही जल में तपते है !! शब्दो की सीमा से बंधे! किंचित लक्ष्य से सधे !! प्रश्नों की अविरल नदी ! उत्तर से भयभीत यदि !! अपेक्षाओं से खीची लकीरे ! उपेक्षाओ से बंधी जंजीरे !! मुग्ध आत्मचिंतन में ! अटकी गाठ बंधन में !! कसोटी पर दे कर परीक्षा ! संतो से प्राप्त लेकर दीक्षा !! तुम हो आत्म संदेह से लक्षित ! तुम हो आत्म विश्वास से रक्षित !! अंतरमन में विचार पलते है ! स्वयं ही स्वयं में खपते है !! ✍राजेश चोयल
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