वीर उधम सिंह

भारतीय चरम सीमा का परचम ही इतना भारी है,

बलिदानों की गाथा यंहा की अदभुत न्यारी है,,।

कुछ गद्दारों को ये वीरता रास नही आई,

अपनो को मिटाने की चेष्टाएँ मन मे भाई,,।

हँसते, गाते बच्चो की भावनाओ को मिटाया है,

वीरो के भेदों को अंग्रेजों को बतलाया है,,।

छल कपट से जलियावाला बाग को समशान में बदल दिया,

बुजुर्ग, नवजवान,हँसते बच्चो को निहत्ता देख हमला किया,,।

वो डायर भी डायन बनने में हिचकिचाया नही,

उसकी उद्दण्डता को देख उधम सिंह ने संकल्प लिया,,।

प्रतिशोध था मन मे निह्ते बच्चो की हत्या का बदला लेना,,।

इक्कीस सालों में डायर को मौत के घाट उतार दिया,,।
वीरता का बखान किया ,

सपने को साकार किया ,

इस धरती धन्यधरा पर जन्म लेकर उधम ने अपने जीवन का उद्धार किया।।


✍️कन्हैया पड़ियार(kspr)रिंगनोद की कलम से।

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