माँ
बरसता सावन तु , तपता योवन तु , बहती पवन पुरवेया हे तु माँ |
निश्चल पियुष सा अमृत तु , निखरता जीवन तु , पल-पल बितती घड़िया है तु माँ ||
कालजयी तु , रश्मी तु ,पहली सुबह की किरण है
तु माँ |
नयी सोच तु , विचारो का अंगना तु , जीवन का रण है तु माँ ||
खिलकते चेहरो पर आँसू तु , रूखे, फटे होठो की
उमंग, उत्साह तु , जुनून तु , महकती फुलों की बगिया है तु माँ |
सावन मे नाचते मोर तु , कु-कुहाती कोयल तु , वो पकती अम्बिया है तु माँ ||
पगडंडियो की उड़ती धुल तु , ग्रामीण मिट्टी तु , क्षत्राणी है तु माँ |
पवित्र गीता तु , रामायण तु , अमृत देववाणी है तु माँ ||
संकल्प तु , सपना व यथार्थ की नींद तु , हाथो की लकीर है तु माँ |
उपनिषद तु, ऋचाए तु , मीठी खीर है तु माँ ||
तेज धूप है तु , शीतल छाव तु,बदलता दिनो-दिन मोसम है तु माँ |
राहगीर के प्यासों का पानी तु , दुखो की ढलती शाम हे तु माँ ||
हारी नहीं अजेय है तु, कभी मरती नहीं अमर है तु ,संसार मे शाश्वत है तु माँ|
अनंत वर्षो तक तन मन व धन से अर्पण हूँ | तेरे चरणों मे शत –शत नमन है माँ ||
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