फाँसी
लुटती बहन बेटियो की आबरू को, चार दिवारी की कैद से तोल रहे हो।
बढ़ रहे है दरिदंगी के दानव, कौन से रामराज्य की जय बोल रहे हो।।
कब तक दरिंदो को पुचकरोगे, भूले भटके कहकर।
कब तक बचाओगे, कानून की दलीलों को देकर।।
कोई ऐसी वैसी गलती नही, जो कानून का गुनहगार है।
कोई चौराहे ढूंढ़ लो तो, फाँसी का फंदा तैयार है।।
- राजेश चोयल
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