विश्व गुरु भारत
अक्रांताओ के आक्रमण हो,प्रकृति के विनाशक प्रलय से। विश्वास-घात के रण हो, विकृति के पावक विलय से।।
लड़ते सुरमां हौसला चट्टान सा लेकर विकट परिस्थितियों से।
भिड़ते योद्धा नित दिन छल कपट भरी नीतियों से।।
सर्व भवन्तु सुखिनः कहने वाले हम।
सर्व सन्तु निरामया अपनाने वाले हम।।
सभी कला विज्ञान में निपुणता जान लो नही कोई अभागे है हम।
स्वच्छता और स्वास्थ्य में अव्वल, पहचान लो योग में सबसे आगे है हम।।
महामारी फैली सारे विश्व भर में, इसके गम्भीर खतरे भारत पर भी दिखते है।
बाहरी देश ढींगे हाँकते थे अपने तकनीकी पर, वे मदद की गुहार भारत से लिखते है।।
डॉक्टर स्वंय ईश्वर की मूरत बना है, सिपाही स्वयं काल का दूत बने।
एक जान दाव लगा जीवन बचाने में, दूसरा लगा विकराल रूप रोकने ।।
हर बार की तरह इस बार भी भारत विश्व गुरु बनेगा।
अखण्ड ज्योति के प्रकाश में भारत जीतेगा।।
✍🏻 राजेश चोयल
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