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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सरकार

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जहा पढ़े-लिखे नोजवान काम की भीख माँग रहे, वहा कैसे रोजगार की बात करते हो। जहा किसान कर्ज में डूब रहे, वहा कैसे कृषि-प्रधान देश की बात करते हो।। जहा सीमा पर जवान गोलियों से छल रहे, वहा कैसे जिम्मेदारी की बात करते हो। जहा आम लोग भ्रष्टाचार से तल रहे, वहा कैसे ईमानदारी की बात करते हो।। जहा रोज पलायन हो रहे, वहा कैसे घरबार की बात करते हो। जहा मजदूर खाली हाथ लौट रहे, वहा कैसे राम दरबार की बात करते हो।। जहा बहन-बेटीयो को दरिंदे नोच रहे, वहा कैसे चौकीदार की बात करते हो। जहा लोकतंत्र का नित्य दम घोट रहे, वहा कैसे सरकार की बात करते हो।। जहा दंगे-फसादों में घर जल रहे, वहा कैसे सरकारी तंत्र की बात करते हो। जहा मतदाता को रोज लूट रहे, वहा कैसे विकास के मंत्र की बात करते हो।। ✍️ राजेश चोयल " खाली कागज में रंग भर दो हजार। बोलियों से खरीद लो सारे बाजार।। वक्त हैं मौन रहने का बोलना बेकार। हम तो मतदाता आप ही है हमारे सरकार।।" "अंधे उल्लू दिन रात नही दिख पाते। लोग सही गलत नही समझ पाते।। भाषण और नारो में अपना हिस्सा ढूंढते। नकाब पहने भीड़ में खुद को ढूंढते...

मैं हार गया हूँ!

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मैं हार गया हूँ ! शायद तुमने खुद को खो दिया है। तभी तो निराशा से बोल दिया है।। कि मैं हार गया हूँ ! बताओ तुम किसके जंग में लड़े थे। बताओ तुम किसके संग भिड़े थे।। बताओ तुम किसे हराने आये थे। बताओ तुम किसे दिखाने आये थे।। शायद तुमने संदेह का बीज बो दिया है। तभी तो निराशा से बोल दिया है।। कि मैं हार गया हूँ ! यदि तुम्हे अपनी हार का दुख है, तो क्यों रोना है। यदि तुम्हे मंजिल की भुख है, तो स्वयं को हराना है।। जब माथे से निकली पशीने की बूंदे, तलवों पर आ जाए। अभी तो बस तपे हो, किसी रोज लहू भी जल जाए।। न तुम्हारी होड़ किसी से है। न तुम्हारी दौड़ किसी से है।। स्वयं शत्रु हो, तुम स्वयं के लक्ष्य की और। लड़ भीड़ों उपेक्षाओं की दीवारों से, जो है उस छोर।। शायद तुम स्वयं से हार गए हो। तभी तो निराशा से बोल गए हो।। कि मैं हार गया हूँ ! " अधूरी है मंजिले , आधे-अधूरे है ख्वाब। भरी है मुश्किलें राहों में, अभी डरे न जनाब।।"                                              ✍️राजेश ...

कृषि बिल 2020

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केंद्र सरकार की ओर से कृषि सुधार बिल कहे जा रहे तीन में से दो विधेयक को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गए. अब इस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अंतिम मुहर लगनी बाकी है जिसके बाद यह क़ानून बन जाएगा. दो बिल जो संसद से पास हो चुके हैं उनमें से एक कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, और दूसरा कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020 है. किसानों का विरोध क्यों ? किसानों के देश की अपनी चिंताएँ.... अमेरिका के एक किसान ने ट्वीट किया कि उसने 2018 में मक्का जिस कीमत पर बेचा, मक्के की उससे ज्यादा कीमत उसके पिता को 1972 में मिली थी। यह एक ऐसे देश की दशा है, जहां छह-सात दशक से खुला बाजार है। अभी हाल ही में अमेरिकी कृषि विभाग के एक अर्थशास्त्री ने कहा है कि अमेरिकी किसानों की आय तेज गिरावट की ओर है। इससे पता चलता है कि जो बाजार सुधार अमेरिका ने कृषि क्षेत्र में सात दशक पहले किया था, वह नाकाम साबित हो चुका है। इस साल अमेरिका के किसानों पर 425 अरब डॉलर का कर्ज हो गया है। वहां ग्रामीण इलाकों में आत्महत्या की दर शहरों से 45 प्रत...

दास्तां ए इंजीनियरिंग

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 इंजीनियर की जिंदगी😌 हमें कहा गया कि 10वी पास कर लो और फिर मजे ही मजे।  हम दसवी में 88 प्रतिशत नम्बर ले आये। 90 नहीं ला सके उसका दुख था।  जिदंगी बर्बाद हो गिया वाला सीन था।  खैर  फिर ग्यारवीं में आये। हमसे कहा गया कि 12वीं में 90 परसेंट ला दो फिर मजे ही मजे। हम फिर 87 प्रतिशत ही ला सके। अब लगा जिदंगी बर्बाद हो गया।  फिर किसी ने कहा बिना IIT, NIT के क्या बनोगे इंजीनियर। हमसे कहा गया jee क्लियर करलो फिर मजे ही मजे।  हम फिर लग गए। jee नहीं क्लियर हुआ पर aieee हो गया।  NIT मिल गया। IIT नहीं मिला इसका दुःख था। इस बार लगा जिनगी अब पूरा बर्बाद हो गया।  अब 4 साल बीत गए। प्लेसमेंट हो गया। फिर हमसे किसी ने कहा कि private की नौकरी में क्या रखा है। सरकारी नौकरी लो GATE निकालो फिर मजे ही मजे। हम फिर लग गए। एक साल दो साल। पर गेट तोड़ न पाये। अर्ध सरकारी नौकरी लगी BHEL में।  हम तो बस सच बतायें तो इंजीनियर बनना चाहते थे और नयी चीज़ें बनाकर देश के लोगों की मदद करना चाहते थे। ये ज़िन्दगी हमें क्या क्या बनाती गयी और पता नहीं क्या क्या बनायेगी। पर अब इतने बार...

बेरोजगारी

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बढ़ गयी माथे उधारी, जो सब मांगने लगे। बढ़ गयी बेरोजगारी, जो सब बताने लगे ।। पिताजी जो हमारे ATM है, उनके पिन (पासवर्ड) बदल गए। जीजाजी जो हमारे लाला है, उधार देने से मना कर गए।। सब कहते "भाई" छोटा-मोटा काम ही कर लो। खाली बैठे हो,सरकारी परीक्षाओं के फार्म भर लो।। रात देरी से सोता, सुबह देर तक उठता। क्या बताए भिया, अब पड़ोसी भी पूछने लगता।। चौकीदार कहता मकान मालिक ने याद किया है। बाकि है या बिजली बिल भर दिया है।। अखबारों में पढ़ खबरे, सेव परमल फांकता । अकेला रहता हूँ, तो खिड़की से  झाँकता ।। फ़िक्र से भरी दुनिया भाग रही , "न जाने कहा जाना है" मैं तो निठल्ला हूँ जी, भगवान ही जाने "कहा मेरा ठिकाना है"       ✍🏼राजेश चोयल

अजनबी शायर

 कुछ दिन और पलट लो पन्ने किताबो के ! अधूरे है अभी बुनने घर ख्वाबो के !! ✍🏻राजेश चोयल

राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस (17 सितम्बर)

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 उठो युवाओं ललकार दो,  कहो सरकार से रोजगार दो कहा जाता है युवा देश के भविष्य है क्यूंकि देश के भविष्य की जिम्मेदारी उन्हीं है के कंधो पर होती है, लेकिन जब युवाओं के ही भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा तो उस देश का भविष्य क्या होगा?  देश आज बहुत सारी समस्याओं से गुजर रहा है लेकिन फ़िलहाल बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है और उपर से  कोरोना जैसी महामारी, हालांकि इसका सक्षम परिवारों पर कोई असर नहीं देखने को मिल रहा, जिनको बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे दिखाई ही नहीं देते जो सिर्फ धर्म जाति की राजनीति तक सीमित रह गए, फ़र्क तो उस इंसान या परिवार को पड़ रहा है जो दैनिक मज़दूरी करके अपना घर चलाते है अपना परिवार पाल रहे है।  और इसी बात से जोड़कर आज के मुद्दे पर कहना चाहूंगा मेरे वो दोस्त जो इन हालातो से गुजर रहे है जिन्हे उनके माता - पिता ने कहीं मजदूरी करके तो कहीं कर्ज करके  पढ़ाया ताकि कल को उनका बच्चा पढ़कर लिखकर अच्छी नौकरी करेगा अच्छी इज्जत कमाएगा घर की दशा और दिशा दोनों बदल जाएगी, और वो बच्चा इन हालातो में पढ़ भी रहा, लेकिन  सवाल कब तक? अर्जुन को...

अजनबी शायर

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१) जीने एक वजह और जुड़ गयी।      जब आप से मुलाकात हो गयी।।❣😘 २) बेवजह जिद जो तुम करती हो, वो भी किया माफ है।      संभाल के रखो रिश्ता, तुम्हे जो दिल दिया साफ है।। ३)  ख्वाब टूटे से लगते है, तेरे बिना यह अहसास अधूरे         से लगते है।     लौट आ स्याही में प्यार भरते है, यह अल्फाज अधूरे        से लगते है। ४)   जब तक खामोशी में पिघले इश्क।       तब तक रुआंसी में निकले अश्क।। ५)  किताबो के इर्द-गिर्द दुनिया, बस किताबो की बाते।      नयी सुबह की आश में, काट दी कितनी राते।। ✍🏻   राजेश चोयल

राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस (17 सितम्बर )

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17th September राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस  आख़िर क्यूँ?  स्टूडेंट्स चाहते क्या हैं? ये स्टूडेंट्स रोजगार, परीक्षा और रुकी हुई भर्तियों को जल्द पूरी कराने की मांग कर रहे हैं.  और ये सब शुरू कब हुआ?  30 अगस्त को पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ की. उनका ये कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी के यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड हुआ. इस वीडियो को 1 सितंबर, 2020 की शाम चार बजे तक मिले साढ़े पांच लाख डिसलाइक. लाइक्स थे 81 हज़ार. बड़ी संख्या में किए गए ये डिस्लाइक चर्चा में आए. इनकी सत्यता पर भी बात उठी. लेकिन कमेंट बॉक्स की हालत भी ऐसी ही थी. लोग नाराज़गी जता रहे थे महीनों, सालों से अटकी पड़ी सरकारी भर्तियों को लेकर. एक नज़र टाइम लाइन पर डाल लेते हैंः 1 सितंबर 1 सितंबर, 2020. SSC, रेलवे और दूसरी भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों ने ट्विटर पर धावा बोला हुआ था. #SpeakUpForSSCRailwayStudents पर इतना ट्वीट हुआ कि ये दुनिया के टॉप ट्रेंड में तीसरे स्थान पर आ गया. लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई कमेंट नहीं आया. SSC ने जरूर एक काम किया. जिन परीक्षाओं का रिजल्ट महीनों से अटका पड़ा है, उनको जारी क...