दास्तां ए इंजीनियरिंग

 इंजीनियर की जिंदगी😌


हमें कहा गया कि 10वी पास कर लो और फिर मजे ही मजे। 

हम दसवी में 88 प्रतिशत नम्बर ले आये। 90 नहीं ला सके उसका दुख था।  जिदंगी बर्बाद हो गिया वाला सीन था। 

खैर 

फिर ग्यारवीं में आये। हमसे कहा गया कि 12वीं में 90 परसेंट ला दो फिर मजे ही मजे। हम फिर 87 प्रतिशत ही ला सके। अब लगा जिदंगी बर्बाद हो गया। 


फिर किसी ने कहा बिना IIT, NIT के क्या बनोगे इंजीनियर। हमसे कहा गया jee क्लियर करलो फिर मजे ही मजे। 

हम फिर लग गए। jee नहीं क्लियर हुआ पर aieee हो गया। 

NIT मिल गया। IIT नहीं मिला इसका दुःख था। इस बार लगा जिनगी अब पूरा बर्बाद हो गया। 

अब 4 साल बीत गए। प्लेसमेंट हो गया। फिर हमसे किसी ने कहा कि private की नौकरी में क्या रखा है। सरकारी नौकरी लो GATE निकालो फिर मजे ही मजे। हम फिर लग गए। एक साल दो साल। पर गेट तोड़ न पाये। अर्ध सरकारी नौकरी लगी BHEL में। 

हम तो बस सच बतायें तो इंजीनियर बनना चाहते थे और नयी चीज़ें बनाकर देश के लोगों की मदद करना चाहते थे। ये ज़िन्दगी हमें क्या क्या बनाती गयी और पता नहीं क्या क्या बनायेगी।

पर अब इतने बार पीसे जा चुके हैं कि अब दुःखी नहीं है कि gate नहीं हुआ। पता नहीं क्यों पर खुश हैं। कल ही कोई मिला था कहता भाई psu की नौकरी मतलब वो सरकारी नौकर जो कॉर्पोरेट जैसा पिसता है, ESE निकाल लो फिर मजे ही मजे। 

मन तो किया कि वुडलैंड का प्राइवेट जूता उसके सरकारी गाल पर जड़ दें। खैर मुद्दे की बात ये है जिदंगी कभी खत्म नहीं होती, कभी बर्बाद नहीं होती। वो न्यूटन के नियम की तरह बदलती रहती है। चलती रहती है। तो भैया दुःखी होकर सफर क्यों ख़राब करना। खुश रहो मस्त रहो। हम पीसे गए तुम मत पीसे जाओ। ज़िंदगी बहुत बड़ी है। तुम भी किसी न किसी तरीके से उसमें मंज़िल ढूंढ ही लोगे। शुभकामनाएँ।


10वीं और 12 वी  के रिजल्ट पर रोना रोने वाले मेरे जिदंगी के नन्हें हमसफरों के लिए।


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