हालात
तुमने चाहा ही नही वरना हालात बदल सकते थे, आंसू तेरी आंखों के मेरी आंखों से भी निकल सकते थे। प्यार की तासीर को तुमने जाना ही नही, गर्म लहरों से तो पत्थर भी पिघल सकते थे । तुम तो खड़े रहे पानी की झील बनकर, दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे ।। ✍🏻 आरती सुनील कदम